LATE SHRI RAM PRASAD PANDEY JI

MGRSP Founder - Shri Ram Prasad Pandey Jiसंयुक्त प्रान्त ;उ0प्र0द्ध स्वनाम धन्य भारत वर्ष का प्रियतर प्रान्त ;राज्यद्ध रहा है। इस देश की पावन धरा पर जन्म लेने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं। यहाँ के अवध क्षेत्र में अवतरण का सुखानुभव करके न केवल श्री विष्णु मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये हैं, वरन् मथुरा में जन्म लेकर विष्णु अवतारी श्री कृष्ण लीला पुरुष के रूप में सम्पूज्य रहे हैं। समय चक्र कालांतर में सम्भवतः अवतारों में विश्वास न करता हुआ सामान्य मानव से असाध्य महत्कर्म रूपी अपना प्रयोजन महामानवों के अवलम्बन से सि( करने लगा, समय चक्र संचालक विधाता की दृष्टि जब जन मानस पावनी मनोरमा नदी के पश्चिम में बसे बेनीपुर गाँव पर पड़ी, तो उसने इस गाँव से एक युग पुरुष द्वारा लिखे जाने वाले अविस्मरणीय इतिहास की कल्पना कर डाली। विधाता की इसी कल्पना के साकार स्वरूप के प्रथम अध्याय के रूप में श्री राम सुख पाण्डेय एवं श्रीमती मंगला देवी के पुत्र के रूप में श्री राम प्रसाद पाण्डेय जी का जन्म 19 जुलाई सन् 1938 ई0 को मंगलवार के दिन हुआ। पाण्डेय जी का परिवार पूर्णतः कृषि पर अवलम्बित था। आपके पिता जी ने बालक को शिक्षा दिलाने का पूर्ण प्रयास किया परन्तु आप अधिक पढ़-लिख न सके, क्योंकि विधाता आपसे कुछ और सम्पन्न कराना चाहता था। उत्तरदायित्वों का स्थानान्तरण प्रकृति का अनिवार्य पक्ष रहा है इसी अनिवार्यता के परिणामस्वरूप आपके ऊपर पारिवारिक दायित्वों का भार आ पड़ा। आपको पिताजी से मिले मूलमन्त्र परिश्रम एवं कर्मठता से पर्याप्त संबल मिला तथा आप जीवन के पथ पर सफलतापूर्वक चलते रहे। आपके कर्मस्थलों में ज्ञानीपुर, खपरीपारा, जगन्नाथपुर आदि स्थल आपकी कर्त्तव्य निष्ठा एवं दृढ़ संकल्प भावना के उदाहरण हैं। आप धार्मिक, सामाजिक एवं नैतिक पक्ष के समर्थक रहे हैं। आपने सन् 1985 में गायत्री मंदिर का निर्माण करवाया तथा शिक्षा की महत्ता को समझते हुए आप ने सन् 1994 में गायत्री वि0म0ल0मा0 विद्यालय एवं इण्टर कॉलेज का निर्माण करवाकर शिक्षा की ज्योति का प्रकाश फैलाकार अपनी महामानवता का परिचय दिया। इसी शृंखला में आपने उच्चशिक्षा के प्रसार हेतु सन् 2003-04 में बसंत पंचमी के अवसर पर महाविद्यालय के रूप में माँ गायत्री रामसुख पाण्डेय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की स्थापना की। आप इस क्षेत्र में अभी और महान कार्य सम्पन्न करना चाहते थे जिनमें उन्नत सुविधा सम्पन्न अस्पताल तथा अन्य शिक्षा केन्द्र आदि प्रमुख थे तथापि आपके विचारों से असहमति दिखाते हुए विधाता ने अपनी स्वार्थपूर्णता की घोषणा करते हुए आपको 29 नवम्बर 2012 को अपने स्वर्गलोक वापस बुला लिया।